© V. Ravi Kumar. All rights reserved.

Page copy protected against web site content infringement by Copyscape

Saturday, January 2, 2010

ये जानता तो आग लगाता न घर को मैं

बहला न दिल न तीरगिये शामे ग़म गयी
ये जानता तो आग लगाता न घर को मैं

फ़ानी बदायूनी

No comments:

Post a Comment