काक: कृष्ण: पिक: अपि कृष्ण: को भेद: काकपिकयो:
वसंत काले सम्प्राप्ते काक: काक: पिक: पिक:
अज्ञात
कौवा भी काला है और कोयल भी, तो इन दोनों में आख़िर फ़र्क़ क्या है. जब वसंत ऋतु का आगमन होता है तो फ़र्क़ साफ़ समझ आ जाता है - क्योंकि दोनों मौसम से ख़ुश होके गाने लगते हैं.
अर्थात दुनिया में उमूमन सभी लोग एक जैसे नज़र आते हैं. पर जब मुशकिल वक़्त आता है तो सही और ग़लत का पहचान हो जाता है. वो मशहूर शेर भी तो था
कोई पत्ता हिले हवा तो चले
कौन अपना है ये पता तो चले
ये श्लोक मैं बचपन से सुनता आ रहा हूं, पर इसके प्रादुर्भाव के बारे में मुझे संशय है. अगर किसी पाठक को याद हो, तो ज़रूर बताएं. पेशगी शुक्रिया.
देश के इतिहास का भी बसन्त आये।
ReplyDeleteSahi h bhai
DeleteNice sholaka
ReplyDeleteIts very good...!!!!
ReplyDeleteI like this slokha
ReplyDeleteसही समय पर असलियत पता चल ही जाती है।
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