प्रियवाक्य प्रदानेन सर्वे तुष्यंति जंतव:
तस्माद् तदेव वक्तव्यम् वचने का दरिद्रता
चाणक्यनीति:
अच्छी लगने वाली बातें कह के, पूरी मनुष्य जाति ख़ुश होती है. तो इसलिये ऐसी ही बातें कहनी चाहियें, बोलने में कंजूसी कैसी?
हसरत जयपुरी ने इसी लिए कहा था - मीठी मीठी बातों से बचना ज़रा, दुनिया के लोगों में है जादू भरा!
फिर भी लोग नहीं कहते हैं।
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