Urdu, Hindi, Sanskrit, English, Greek and Latin - all the poetry that has touched me.
हमने इक शाम चराग़ों से सजा रक्खी है
शर्त लोगों ने हवाओं से लगा रक्खी है
आरज़ू ले के कोई घर से निकलते क्यों हो
पाँव जलते हैं तो फिर आग पे चलते क्यों हो
वाली आसी
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