Urdu, Hindi, Sanskrit, English, Greek and Latin - all the poetry that has touched me.
कैसी बहार हम से असीरों को मना है
चाके क़फ़स से बाग़ की दीवार देखना
मीर
मुझको आदत है रूठ जाने की
आप मुझको मना लिया कीजे
जान एलिया
मुख़ालफ़त से मेरी शख़्सियत सँवरती है
मैं दुश्मनों का बड़ा एहतेराम करता हूँ
बशीर बद्र
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