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Wednesday, January 14, 2009

लम्बी है ग़म की शाम, मगर शाम ही तो है

दिल ना उमीद तो नहीं, ना काम ही तो है

लम्बी है ग़म की शाम, मगर शाम ही तो है

फ़ैज़

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