Urdu, Hindi, Sanskrit, English, Greek and Latin - all the poetry that has touched me.
मुलाक़ातें मुसलसल हों तो दिलचस्पी नहीं रहती
ये बे तरतीब याराने हसीं मालूम होते हैं
अब्दुल हमीद अदम
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