हर जिस्मे गुल फ़िरोशाँ अब मरकज़े नज़र है
तुम से बिछड के कितना आवारा हो गया हूं
हम हक़ीक़त हैं नज़र आते हैं
दास्तानों में छुपा लो हमको
नाहक़ ख़याल करते हो दुनिया की बात का
तुमको ख़राब जो कहे वो ख़ुद ख़राब है
रंज उसने कुछ सिवा दिये ये हक़ उसी का था
इतना क़रीब दूसरा कोई रहा नहीं
Bashiir Badr
बशीर बद्र
तुम से बिछड के कितना आवारा हो गया हूं
हम हक़ीक़त हैं नज़र आते हैं
दास्तानों में छुपा लो हमको
नाहक़ ख़याल करते हो दुनिया की बात का
तुमको ख़राब जो कहे वो ख़ुद ख़राब है
रंज उसने कुछ सिवा दिये ये हक़ उसी का था
इतना क़रीब दूसरा कोई रहा नहीं
Bashiir Badr
बशीर बद्र
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