Urdu, Hindi, Sanskrit, English, Greek and Latin - all the poetry that has touched me.
हम ग़रीबों की इस भीड़ में तुम कहाँ
ये कलफ़दार कुर्ता मसल जायेगा
आग पर रक्स करने मे यकता है तू
बर्फ़ पर पाँव तेरा फिसल जायेगा
बशीर बद्र
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