Urdu, Hindi, Sanskrit, English, Greek and Latin - all the poetry that has touched me.
हमपे जो गुज़री बताया न बतायेंगे कभी
कितने ख़त अब भी तिरे नाम लिखे रखे हैं
मैं चाहता हूं के तुम ही मुझे इजाज़त दो
तुम्हारी तरह से कोई गले लगाये मुझे
उनसे ज़रूर मिलना सलीक़े के लोग हैं
सर भी क़लम करेंगे बडे अहतराम से
बशीर बद्र
No comments:
Post a Comment