© V. Ravi Kumar. All rights reserved.

Page copy protected against web site content infringement by Copyscape

Saturday, October 18, 2008

हर चीज़ है बाज़ार में इस हाथ दे उस हाथ ले

हर चीज़ है बाज़ार में इस हाथ दे उस हाथ ले
इज़्ज़त गई शोहरत मिली रुस्वा हुये चर्चा हुआ

आहिस्ता चलने में अब दम घुटता है
ठहरूँगा तो साँस मेरी रुक जायेगी

हज़ार सफ़हों का दीवान कौन पढ़ता है
बशीर बद्र कोई इंतख़ाब दे जाओ

देने वाले ने दिया सब कुछ अजब अन्दाज़ में
सामने दुनिया पड़ी है और उठा सकते नहीं

बशीर बद्र

No comments:

Post a Comment