नील आर्मस्ट्रॉंग के निधन पर काका हाथरसी की एक बहुत पुरानी कविता याद आई. सोचा आप से भी साझा करूं
पहुंच गये चान्द पर ऍल्ड्रिन आर्मस्ट्रॉंग
शायर कवियों की हुई, काव्य कल्पना रॉंग
काव्य कल्पना रॉंग, सुधाकर हमने जाने
(ऐसा माना जाता था कि चान्द पर देवता अपनी सुधा भर के रखते थे, इसीलिये उसे सुधाकर भी कहा जाता था)
कंकड पत्थर मिले, दूर के ढोल सुहाने
pahunch gaye chand par Aldrin, Armstrong
shaayar kaviyo.n kee huyee, kaavya kalpana wrong
kaavya kalpana wrong, sudhaakar hamane jaane
kankaR patthar mile, door ke Dhol suhaane
set their foot on the moon have Aldrin and Armstrong
The poetic imagery of poets has been found to be wrong
the moon was the 'mine of nectar', or so we were told
it was full of stones and gravel, all that glitters is not gold
काका हाथरसी
पहुंच गये चान्द पर ऍल्ड्रिन आर्मस्ट्रॉंग
शायर कवियों की हुई, काव्य कल्पना रॉंग
काव्य कल्पना रॉंग, सुधाकर हमने जाने
(ऐसा माना जाता था कि चान्द पर देवता अपनी सुधा भर के रखते थे, इसीलिये उसे सुधाकर भी कहा जाता था)
कंकड पत्थर मिले, दूर के ढोल सुहाने
pahunch gaye chand par Aldrin, Armstrong
shaayar kaviyo.n kee huyee, kaavya kalpana wrong
kaavya kalpana wrong, sudhaakar hamane jaane
kankaR patthar mile, door ke Dhol suhaane
set their foot on the moon have Aldrin and Armstrong
The poetic imagery of poets has been found to be wrong
the moon was the 'mine of nectar', or so we were told
it was full of stones and gravel, all that glitters is not gold
काका हाथरसी
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