नौशाद साहब अच्छे संगीतकार होने के अलावा एक अच्छे शायर भी थे. उन्होंने कुछ पार्शवगायकों के इंतिक़ाल पर अशआर लिखे जो काफ़ी मक़बूल हुए. उसके अलावा उनके कुछ अशआर हैं जो हर एक की ज़ुबान पर कभी ना कभी तो आए होंगे. मेरी ज़ुबान पर तो हमेशा ही रहते हैं. कुछ दिनों पहले मैंने अपने ब्लॉग में इसे नहीं पाया, तो सोचा इसे तुरंत छाप देना चाहिये. तो लीजिये पेश ए ख़िदमत है.
अभी साज़े दिल में तराने बहुत हैं
अभी ज़िन्दगी के बहाने बहुत हैं
दरे ग़ैर पे भीख मांगो न फ़न की
जब अपने ही घर में ख़ज़ाने बहुत हैं
हैं दिन बद-मज़ाकी के 'नौशाद' लेकिन
अभी तेरे फ़न के दिवाने बहुत हैं.
Abhii saaze dil me.n taraane bahut hai.n
Abhii zindagii ke bahaane bahut hai.n
dare Gair par bheekh maango na fan kee
Jab apne hee ghar me.n Khazaane bahut hai.n
Hai.n din bad-mazaaki ke 'Naushad' lekin
Abhii tere fan ke diwaane bahut hai.n
Lots of songs are still in my heart
Lots of ways I know to live life
Do not beg for art on another person's door
When there are many treasures available in our own house
Oh Naushad, you live in times of poor taste, but
There are still many fans of your art (music)
नौशाद अली
नौशाद अली
प्रभावित करती पंक्तियाँ।
ReplyDeleteमुहब्बत में बिछुड़ना हुनर नहीं मजबूरी है
ReplyDeleteदमे ग़ुरबत जान यह रॊग ऐ जान ज़रूरी है