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Tuesday, September 20, 2011

ये न सोचो कि अभी उम्र पडी है यारो


फ़ुर्सते कार फ़क़त चार घडी है यारो
ये न सोचो कि अभी उम्र पडी है यारो
(फ़ुर्सते कार = काम की फ़ुर्सत)

फ़ासला चन्द क़दम का है मना लें चल कर
सुबह आई है मगर दूर खड़ी है यारो

जब भी चाहेंगे ज़माने को बदल डालेंगे
सिर्फ़ कहने के लिये बात बड़ी है यारो

जां निसार अख़्तर

1 comment:

  1. जो करना है कर डालो अब,
    राह बड़ी बेगानी है।

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