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Saturday, December 12, 2009

इक हर्फ़ न निकला होठों से और आँख में आँसू आ भी गये

रूदादे ग़मे उल्फ़त उन से हम क्या कहते, क्योंकर कहते

इक हर्फ़ न निकला होठों से और आँख में आँसू आ भी गये

इसरार उल हक़ मजाज़

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