Urdu, Hindi, Sanskrit, English, Greek and Latin - all the poetry that has touched me.
रूदादे ग़मे उल्फ़त उन से हम क्या कहते, क्योंकर कहते
इक हर्फ़ न निकला होठों से और आँख में आँसू आ भी गये
इसरार उल हक़ मजाज़
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