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Thursday, December 10, 2009

अब ऐसी शिकस्ता कश्ती पर साहिल की तमन्ना कौन करे

मरने की दुआएँ क्यों मांगूँ जीने की तमन्ना कौन करे

ये दुनिया हो या वो दुनिया, अब ख़्वाहिशे दुनिया कौन करे

जब कश्ती साबितो सालिम थी, साहिल की तमन्ना किस को थी

अब ऐसी शिकस्ता कश्ती पर साहिल की तमन्ना कौन करे

जो आग लगाई थी तुमने उसको तो बुझाया अश्क़ों ने

जो अश्क़ों ने भड़काई है उस आग को ठंडा कौन करे

मुईन अहसन जज़्बी

1 comment:

  1. जो आग लगाई थी तुमने उसको तो बुझाया अश्क़ों ने
    जो अश्क़ों ने भड़काई है उस आग को ठंडा कौन करे


    -बेहतरीन शेर!! शानदार.

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