मरने की दुआएँ क्यों मांगूँ जीने की तमन्ना कौन करे
ये दुनिया हो या वो दुनिया, अब ख़्वाहिशे दुनिया कौन करे
जब कश्ती साबितो सालिम थी, साहिल की तमन्ना किस को थी
अब ऐसी शिकस्ता कश्ती पर साहिल की तमन्ना कौन करे
जो आग लगाई थी तुमने उसको तो बुझाया अश्क़ों ने
जो अश्क़ों ने भड़काई है उस आग को ठंडा कौन करे
मुईन अहसन जज़्बी
जो आग लगाई थी तुमने उसको तो बुझाया अश्क़ों ने
ReplyDeleteजो अश्क़ों ने भड़काई है उस आग को ठंडा कौन करे
-बेहतरीन शेर!! शानदार.