My favourite poetry
Urdu, Hindi, Sanskrit, English, Greek and Latin - all the poetry that has touched me.
© V. Ravi Kumar. All rights reserved.
Thursday, October 22, 2009
तख़ल्लुस दाग़ है और आशिक़ों के घर में रहता हूं
ख़ुदा रक्खे मुहब्बत ने किये आबाद घर दोनों
वो मेरे दिल में रहते हैं मैं उनके दिल में रहता हूं
कोई नामो निशां पूछे तो ऎ क़ासिद बता देना
तख़ल्लुस दाग़ है और आशिक़ों के घर में रहता हूं
दाग़ देहलवी
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