Urdu, Hindi, Sanskrit, English, Greek and Latin - all the poetry that has touched me.
दूर से आये थे साक़ी सुन के मयख़ाने को हम
बस तरसते ही चले अफ़सोस पैमाने को हम
मय भी है मीना भी है, साग़र भी है साक़ी नहीं
दिल में आता है लगा दें, आग मयख़ाने को हम
नज़ीर अकबराबादी
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