बुला रहा है ज़माना मगर तरसता हूं
कोई पुकारे मुझे बेसबब तुम्हारी तरह
वो जिनके ज़िक़्र से रग़ों में दौडती थी बिजलियाँ
उन्हीं का हाथ हम ने छू के देखा कितना सर्द है
हम दोनों की ख़ूब निभेगी
मैं भी दुखी हूं वो भी दुखी है
दिल की ख़ामोशी पे न जाओ
राख़ के नीचे आग दबी है
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