My favourite poetry
Urdu, Hindi, Sanskrit, English, Greek and Latin - all the poetry that has touched me.
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Thursday, November 13, 2008
ये हँसी भी कोई नक़ाब है जहाँ चाहे हमने गिरा लिया
ये हँसी भी कोई नक़ाब है जहाँ चाहे हमने गिरा लिया
कभी उसका दर्द छुपा गये कभी अपना दर्द छुपा गये
मिरे दिल में दर्द के पेड़ हैं यहाँ कोई ख़ौफ़े ख़िज़ाँ नहीं
ये दरख़्त कितने अजीब थे, सभी मौसमों में हरे रहे
बशीर बद्र
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