मुझे मालूम है उस का ठिकाना फिर कहां होगा
परिन्दा आस्मां छूने में जब नाकाम हो जाये
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िन्दगी की शाम हो जाये
ख़तावार समझेगी दुनिया तुझे
अब इतनी ज़ियादा सफ़ाई न दे
ख़ुदा ऐसे एहसास का नाम है
कि रहे सामने और दिखाई ना दे
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