My favourite poetry
Urdu, Hindi, Sanskrit, English, Greek and Latin - all the poetry that has touched me.
© V. Ravi Kumar. All rights reserved.
Saturday, October 18, 2008
सब लोग वरना बहते दरया में बह रहे थे
अपनी जगह जमे हैं कहने को कह रहे थे
सब लोग वरना बहते दरया में बह रहे थे
अख़बार में ऐसी कोई ख़बर नहीं थी
झुलसे मकान झूठे अफ़साने कह रहे थे
बशीर बद्र
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