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Wednesday, August 31, 2011

वाक्माधुर्यात् सर्व लोक प्रियत्वम् वाक्पारुष्यात् सर्वलोक अपकारी

वाक्माधुर्यात् सर्व लोक प्रियत्वम् वाक्पारुष्यात् सर्वलोक अपकारी
किम् वा लोके कोकिलेन उपनीतम् को वा लोके रासभेन अपराध:

सोमप्रभा रचित नराभरण से

वाक्माधुर्य यानी मीठी बोली से इंसान हर दिल अज़ीज़ बनता है और कडवी या कठोर बोली से इंसान सब को ठेस पहुंचाता है. इस दुनिया को कोयल ने आख़िर ऐसा क्या दे दिया है, और बेचारे गधे का आख़िर क्या अपराध है. पर लोग कोयल से मुहब्बत करते हैं और गधे से नफ़रत. सिर्फ़ वाणी का कमाल है.

बहुत साधारण बात है, पर मिसाल अच्छी लगी. सो पेश कर दी. अच्छी लगी तो बताईएगा.

Some friends prefer the English version as well. So here goes,

Everyone likes those who speak sweetly and dislike those who speak in a rough manner
What has the cuckoo bird ever given to this world, and what harm has the ass done to the world, But the cuckoo bird is liked and the ass is disliked. The writer says it all boils down to the speech of a person.

Interestingly both cuckoo and ass are used in pejorative or negative sense in the English language :).

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