My favourite poetry
Urdu, Hindi, Sanskrit, English, Greek and Latin - all the poetry that has touched me.
© V. Ravi Kumar. All rights reserved.
Saturday, June 25, 2011
कुछ ख़ार कम तो कर गए, गुज़रे जिधर से हम
ले दे के अपने पास फ़क़त एक नज़र तो है
क्यों देखें ज़िन्दगी को किसी की नज़र से हम
माना कि इस ज़मीं को न गुलज़ार कर सके
कुछ ख़ार कम तो कर गए, गुज़रे जिधर से हम
साहिर लुधिआनवी (तल्ख़ियां से)
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment