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Wednesday, March 30, 2011

फिर मैं आया हूं तिरे पास ऎ अमीर-ए-कारवां

फिर मैं आया हूं तिरे पास ऎ अमीर-ए-कारवां
छोड आया था जहाँ तू, वो मिरी मंज़िल न थी

सीमाब

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