Urdu, Hindi, Sanskrit, English, Greek and Latin - all the poetry that has touched me.
भूले हैं रफ़्ता रफ़्ता उन्हें मुद्दतों में हम
किस्तों में ख़ुदक़शी का मज़ा हम से पूछिये
ख़ुमार बाराबंकवी
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