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Friday, January 8, 2010

तूने कहा न था के मैं कश्ती पे बोझ हूं

तूने कहा न था के मैं कश्ती पे बोझ हूं
चेहरे को अब न ढाँप मुझे डूबते भी देख

शकेब जलाली

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