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Saturday, December 26, 2009

सारी दुनिया हमें पहचानती है

आपसे झुक के जो मिलता होगा

उसका क़द आपसे ऊंचा होगा

जिसकी फ़नकार का शहकार हो तुम

उसने बरसों तुम्हें सोचा होगा

सारी दुनिया हमें पहचानती है

कोई हमसा भी न तन्हा होगा

अहमद नदीम क़ासमी

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