Urdu, Hindi, Sanskrit, English, Greek and Latin - all the poetry that has touched me.
ऎ मौजे बला! इन को भी ज़रा दो चार थपेड़े हल्के से
कुछ लोग अभी तक साहिल से तूफ़ां का नज़ारा करते हैं
मुईन अहसन जज़्बी
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