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Thursday, November 12, 2009

आलम में तुझसे लाख सही, तो मगर कहाँ

हम जिस पे मर रहे हैं वो है बात ही कुछ और
आलम में तुझसे लाख सही, तू मगर कहाँ

मौलाना अल्ताफ़ हुसैन 'हाली'

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