My favourite poetry
Urdu, Hindi, Sanskrit, English, Greek and Latin - all the poetry that has touched me.
© V. Ravi Kumar. All rights reserved.
Monday, October 26, 2009
हाय! कमबख़्त तूने पी ही नहीं
लुत्फ़े मय तुझ से क्या कहूं ज़ाहिद
हाय! कमबख़्त तूने पी ही नहीं
उड़ गई यूं वफ़ा ज़माने से
कभी गोया किसी में थी ही नहीं
'दाग़' क्यों तुम को बेवफ़ा कहता
वो शिकायत का आदमी ही नहीं
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