Urdu, Hindi, Sanskrit, English, Greek and Latin - all the poetry that has touched me.
ऎ जज़्ब ए दिल गर मैं चाहूं हर चीज़ मुक़ाबिल आ जाये
मंज़िल के लिये दो गाम चलूँ और सामने मंज़िल आ जाये
बहज़ाद लखनवी
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