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Saturday, July 4, 2009

यूँ न मुरझा कि मुझे ख़ुद पे भरोसा न रहे

यूँ न मुरझा कि मुझे ख़ुद पे भरोसा न रहे
पिछले मौसम में तेरे साथ खिला हूँ मैं भी
मज़हर इमाम

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