My favourite poetry
Urdu, Hindi, Sanskrit, English, Greek and Latin - all the poetry that has touched me.
© V. Ravi Kumar. All rights reserved.
Thursday, January 22, 2009
और मैं था कि सच बोलता रह गया
आते आते मेरा नाम सा रह गया
उसके होठों पे कुछ कांपता रह गया
वो मेरे सामने ही गया और मैं
रास्ते की तरह देखता रह गया
झूठ वाले कहीं से कहीं बढ गये
और मैं था कि सच बोलता रह गया
आँधियों के इरादे तो अच्छे न थे
ये दिया कैसे जलता हुआ रह गया
वसीम बरेलवी
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