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Friday, September 19, 2008

बड़ों की देख कर दुनिया बड़ा होने से डरता है

यहां हर शख़्स हर पल हादिसा होने से डरता है
खिलौना है जो मिट्टी का फ़ना होने से डरता है
मेरे दिल के किसी कोने में एक मासूम सा बच्चा
बड़ों की देख कर दुनिया बड़ा होने से डरता है
अजब ये ज़िन्दगी की क़ैद है दुनिया का हर इंसान
रिहाई मांगता है और रिहा होने से डरता है

राजेश रेड़्डी

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